भारत वर्ष में महिलाओं के लिए आरक्षण विधेयक वहुत समय से प्रतिशा रत है , महिलाएं घर छोड़ कर संसद में बथ्नेइ के लिए तैयार बठी हैं । और इसकी श्रुवात महिलाओं नें सार्जनिक ट्रांसपोर्ट से शरू कर दे है । प्राय्ह मेट्रो एवं डी टी क की बसों में ये सब देखनें को मिलता है । महिलाये उन सीटों पर पुर अधिकार जमाती फिरती हैं जहाँ मेट्रो में " महिलाओं के लिए अरक्षित" लिखा हुआ है । उस पूरी रो पर वे अपना अधिकार जमती हैं। इन सीटों पर अधिकांशतः ७०% महिलायें ही बठी रहती हैं , और यदि कोई एक आध पुरुष बैठे हों तो उन्हें उठाने के लिए महिलाएं पूरे जोर लगा कर कहती सुने देती हैं की यह लेडिस सीट है , या कई युवा लड़कियां भी किसी बुजुर्ग पुरुष के सामने इस तरह से कड़ी होंगी की बेचारा पुरुष शर्माकर सीट छोड़ देता है ।
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