आज दीपावली है मैंने आज सवेरे हिंदी के प्रख्यात लेखक श्री लीलाधर जुगुड़ी का हिंदुस्तान में एक लेख पढ़ा जिसमें उन्होंने श्री राम द्वारा अमावश्य को घर लोटने पर कुछ रौशनी डाली है वे कहते हैं कि जब अँधेरा होता है तो लोग प्रकाश की खोज करते है . अँधेरा यदि प्रज्वलित होता है तो प्रकाश जगमग करने लगता है वास्तव में उन्होंने बहुत ही दार्शनिक एवं वैज्ञानिक ढंग से दीपावली के त्यौहार पर सुन्दर मार्मिक वर्णन किया है राम ने वन से लोटने पर अँधेरे का चुनाव किया कि अँधेरे में उनके प्रकाश से वे अपनी प्रजा को भली भांति देख सकेंगे अथवा प्रजा उनको श्री राम कि कांति में अच्छी तरह पहचान सकेंगे . अँधेरा उजाले से प्राचीन है और प्रकाश अँधेरे कि आवश्यकता बन गयी है .
आज जब मै बाजार में था तो लगभग ४-५ बजे का समय था कुछ सामान खरीदना था एक दुकान से दूसरी देखते हुए काफी समय व्यतीत हो गया दुकानों में रौशनी जगमगा रही थी रात का एहसास सा हो रहा था जब बाजार से निवृत हुए और बाहर सड़क पर पहुंचे तो सड़क सुनसान सी नजर आई .मुझे कुछ पल के लिए ऐसा भ्रम बना कि लगभग रात कि ९ बज चुके है मेरे मुह से अनायास ही निकल पड़ा कि हमें बस नहीं मिलेगी क्योंकि आज दीपावली है सभी बसे अपने गंतब्य तक पहुच कर छुटि कर चुके होंगे किन्तु ऐसा था नहीं चूँकि सडको पर त्रास्फिक कम हो चूका था और दीवाली मानाने की सभी को जल्दी थी तो लोग घरों को लौट रहे थे इतने में बस आ गयी हम बस में चढ़ गए पुनः जब बस से उतरे तो तब मैंने समय देखा तो अभी ६.५० बज रहे थे . तो मुझे यकायक सबेरे ही माननीय जुगुड़ी जी का लेख का ध्यान आ गया
मेरे अपने घर में दीपावली का पर्व इस वर्ष वर्जित है क्योंकि अभी हमारे एक जेष्ठ भ्राता का २८ सितम्बर को देहावसान हुआ मेरी बड़ी दीदी यही रहती है उनके घर चले आये तब आकाश में अधेरा अपना साम्राज्य कायम कर चूका था और पूरा भारत दीप जला कर , विजली की लडिया लगा कर , पटाखों से आतिश बाजी से आकाश जगमग होने लगा था, जैसे सभी अँधेरे को तोड़ कर प्रकाश का साम्राज्य कायम कर रहे हों .
.बस यही था उनके लेख का भी सारांश . सभी लोग मानो बुराईयाँ छोड़ कर एक सुगम , सुंदर और प्रकाशित मार्ग पर गमन करना चाहते हों . सभी बच्चे और बड़े प्रश्न्चित है . खुशिया ही खुशिया चारो ओर दिखाए दे रही थी
अंत में आप सभी को दीपावली प्रकाश पर्व की शुभ कामनाएं .