शनिवार, 29 मई 2010

साहित्य की नयी विधा -ब्लोग्स

साहित्य की विधाओं का निर्माण जब हो रहा होगा तो उन सभी विद्वत जनो ने सोच भी न होगा कि कंप्यूटर पर भी साहित्य का सृजन होगा । केवल सृजन ही नहीं बल्कि उसका प्रकाशन भी इसी माद्यम से हो सकेगा । इतना ही नहीं पाठक एक दूसरे के साहित्य, लेख निबंध कवितायेँ सभी कुछ आसानी से पढ़ भी सकेंगे।
यह करिश्मा कर दिखाया ब्लोग्स ने । ब्लोग्स अपने आप में एक साहित्य की विधा बन कर सामने आया । जब हम पड़ते थे तो हमें छापाखाना से लेकर प्रकाशन तक का इतिहास पढाया जाता रहा । विधाओं में नाटक, कविता, लेख आदि विधाए पढाई जाती रही हैं । शायद बहुत कम ने ऐसा सोचा होगा की कंप्यूटर भी प्रकाशान का काम करेगा ।
मुझे तो बिलकुल भी अभी तक मालूम नहीं था की ब्लोग्स पर इतना बड़ा भारी साहित्य लिखा जा रहा है । मैनें अखबार में ब्लोग्वार्ता पर कमेंट्री रविश जी द्वारा पढ़ी तब मेरी भी जिज्ञाषा ब्लोग्स बनाने को हुई । इसके पश्चात मैं भी ब्लॉग जैसे साहित्य के अन्दर झाँकने लगा । और दिखाई देता है एक विशाल साहित्य कोष । शब्द कर्मियों की विशाल संख्या देख कर मैं अचंभित रह गया । साहित्य के लिए हिंदी पत्रिका हिन्दीयुग्म में उत्कृष्ट लिखा जाने वाला साहित्य दिखाई दिया । ब्लॉग वाणी पर असंख्य लेखकों की भीड़ । मेरा दिल भी उमड़ने लगा ।

प्रोद्य्गिकी ने आज हमारे लिए विशाल द्वार खोल दिए है । इसीके बल पर इतने लोंग, शायद अख़बारों, पत्रिकाओं , या प्रकशन घरों से प्रकाशित न हो सकते, आज अपनी प्रतिभाओं का प्रकाशन कर रहे हैं। कई ब्लॉगर तो उत्कृष्टता से शब्द रचना कर रहे हैं।
सूचनाये एक के बाद एक आने लगी और पठन सामग्री में होने वाला खर्च भी लगभग समाप्त हो गया , जो व्यक्ति प्रकशन और पठन खर्च वहन न कर पाने के कारन लिख नहीं पा रहे थे उनके लिए अपनी अभिव्यक्ति का अच्छा माध्यम बन गया है।
मैं स्वयम, लिखने का बड़ा शौक रखता था किन्तु इन्ही कारणों से सब कुछ बीच में ही छूट गया था , किन्तु अब मुझे एसा लगता है की मैं भी अपने लिखने के शौक को शायद पूरा कर सकूंगा । एक अच्छा प्लेट फॉर्म मिल गया है।
मैं भविष्य में इसके विस्तार और नयी तकनीकों की समभावना की आशा करता हूँ ।