हम छोटे थे तो कलम और दवात के साथ लिखना पढ़ना होता था। 1985 में जब नौकरी शुरु
की तो पहली बार कम्प्यूटर देखा। सारे काम तो हाथ से ही होते थे किन्तु डाटा संग्रह कर कम्प्यूटर विभाग को दे दिया जाता था। धीरे धीरे अकांउटस् की मोटी मोटी किताबें लिखनी आसान हो गयी। हिसाब किताब में भी गुणवत्ता के साथ साथ कार्य की गतिशीलता भी बढ़ने लगी। कम्पनी ने 1987 मे नये कम्प्यूटर मंगाये, हर विभाग में एक कम्प्यूटर लगा दिया गया। इससे कार्य क्षमता अत्यधिक बढ़ गयी। किन्तु तब आइ.टी की शिक्षा के साधन ना के बराबर थे। कभी शैक्षिक होने का प्रयास भी नही किया और आज की स्थिति का एहसास भी नही हुआ।
1990 के बाद इस कार्य प्रणाली में तेजी से बदलाव आने लगे। तत्पश्चात् एक के बाद एक संस्थान कम्प्यूटर की शिक्षा देने के लिये प्रस्तुत हो गये। स्कूलों में भी प्राथमिकी से ही प्रोद्योगिकी पढ़ाई जाने लगी। इस क्षेत्र में नौकरियों की बाढ़ आ गयी। धनार्जन के लिए उत्तम शिक्षा सिद्ध हुयी। इस क्षेत्र के अभियन्ताओ ने कार्य की प्रणालियां ही बदल डाली। नये नये साफ्टवेयर, एवं नयी नयी प्रजातियां कम्प्यूटर की आने लगी। तत्पश्चात् मोबाइल क्रान्ति ने तो और भी आसान कर दिया। सोशल साइटस् के कारण पूरा विश्व एक गाॉव में समा गया।कार्य संस्कृति के सभी मानक बदलने लगे। लोगों ने इसे सहर्ष स्वीकार भी किया।
समय चक्र चलता रहा और परिवर्तन तेजी से ग्राह्य होता रहा। नयी तकनीके स्वीकार करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नही हुयी। पहले कुछ ही लोग टाइपिंग का काम जानते थे, किन्तु आज बच्चे से बृद्ध तक कम्प्यूटर पर टाइप आसानी से कर रहे हैं।
नौकरी के लिये सबसे उत्तम एवं सरल माध्यम बन गया। स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ने लगे। धीरे धीरे विश्व में सम्पन्नता और स्वावलम्बन का आवरण छाने लगा। नित नयी तकनीक का विकास होने लगा। कई कम्पनियां तो "घर से कार्य" की संस्कृति को भी विकसित करने लगे। इतना ही नही इन्टरनेट के माध्यम से लोग घर को ही कार्य क्षेत्र में बदलने मे सफल हो गये।
यह एक संक्रमण काल है,अब तक घर से निकल कर कार्य करने की पद्धति रही, किन्तु अब आॉन लाइन की कार्य पद्धति के विकसित होने से,घर से ही कार्य सम्पन्न होने लगे हैं । कुछ समय बाद यह भी सम्भव हो जायेगा कि सारे काम घर बैठे बैठे निपटा लिये जायेगे। अभी अॉनलाइन शापिंग, नेट बैंकिंग, ई- टिकट, बिलो का भुगतान आदि कई काम, तकनीक का ही परिणाम है, जब भी आवश्यक हुआ कार्य आसानी से, कहीं से भी, सम्पन्न कर लिया जाता है।
अमेरिका मे इस समय कई कम्पनियों ने जन्म ले लिया है, जिन पर काम कर, धनोपार्जन किया जा रहा है।
कई विज्ञापन कम्पनियां भी इसमे शामिल हैं। य़दि फेसबुक, ट्वीटर इन्सटाग्राम आदि पर विचरण से पता चलता है, कि वहां पर अॉनलाइन काम करना, एक अॉदोलन बन चुका है।
इसी तरह पिछले वर्ष जन्मी एक कम्पनी DS DOMINATION ने अॉनलाइन की संस्कृति को बढ़ा कर, अपनी ट्रेनिंग और वेबिनार के माॉध्यम से हजारो लोगों को जोड़ लिया है। इतना ही नही, उन्होंने इबे(eBay) और अमेजन(Amazon) के साथ लगभग 800 मिलियन डालर का व्यापार किया है।
यह संस्कृति भविष्य में कितनी सफल होगी. यह तो मैं नही जानता। किन्तु आज एक आवश्कता बनती हुयी दृष्टि गोचर हो रही है। समय के साथ कदम ताल करने वाले हमेशा सफल होते हैं। बढते हुये कदम के लिये रास्ता यहॉ से जाता है।
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की तो पहली बार कम्प्यूटर देखा। सारे काम तो हाथ से ही होते थे किन्तु डाटा संग्रह कर कम्प्यूटर विभाग को दे दिया जाता था। धीरे धीरे अकांउटस् की मोटी मोटी किताबें लिखनी आसान हो गयी। हिसाब किताब में भी गुणवत्ता के साथ साथ कार्य की गतिशीलता भी बढ़ने लगी। कम्पनी ने 1987 मे नये कम्प्यूटर मंगाये, हर विभाग में एक कम्प्यूटर लगा दिया गया। इससे कार्य क्षमता अत्यधिक बढ़ गयी। किन्तु तब आइ.टी की शिक्षा के साधन ना के बराबर थे। कभी शैक्षिक होने का प्रयास भी नही किया और आज की स्थिति का एहसास भी नही हुआ।
1990 के बाद इस कार्य प्रणाली में तेजी से बदलाव आने लगे। तत्पश्चात् एक के बाद एक संस्थान कम्प्यूटर की शिक्षा देने के लिये प्रस्तुत हो गये। स्कूलों में भी प्राथमिकी से ही प्रोद्योगिकी पढ़ाई जाने लगी। इस क्षेत्र में नौकरियों की बाढ़ आ गयी। धनार्जन के लिए उत्तम शिक्षा सिद्ध हुयी। इस क्षेत्र के अभियन्ताओ ने कार्य की प्रणालियां ही बदल डाली। नये नये साफ्टवेयर, एवं नयी नयी प्रजातियां कम्प्यूटर की आने लगी। तत्पश्चात् मोबाइल क्रान्ति ने तो और भी आसान कर दिया। सोशल साइटस् के कारण पूरा विश्व एक गाॉव में समा गया।कार्य संस्कृति के सभी मानक बदलने लगे। लोगों ने इसे सहर्ष स्वीकार भी किया।
समय चक्र चलता रहा और परिवर्तन तेजी से ग्राह्य होता रहा। नयी तकनीके स्वीकार करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नही हुयी। पहले कुछ ही लोग टाइपिंग का काम जानते थे, किन्तु आज बच्चे से बृद्ध तक कम्प्यूटर पर टाइप आसानी से कर रहे हैं।
नौकरी के लिये सबसे उत्तम एवं सरल माध्यम बन गया। स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ने लगे। धीरे धीरे विश्व में सम्पन्नता और स्वावलम्बन का आवरण छाने लगा। नित नयी तकनीक का विकास होने लगा। कई कम्पनियां तो "घर से कार्य" की संस्कृति को भी विकसित करने लगे। इतना ही नही इन्टरनेट के माध्यम से लोग घर को ही कार्य क्षेत्र में बदलने मे सफल हो गये।
यह एक संक्रमण काल है,अब तक घर से निकल कर कार्य करने की पद्धति रही, किन्तु अब आॉन लाइन की कार्य पद्धति के विकसित होने से,घर से ही कार्य सम्पन्न होने लगे हैं । कुछ समय बाद यह भी सम्भव हो जायेगा कि सारे काम घर बैठे बैठे निपटा लिये जायेगे। अभी अॉनलाइन शापिंग, नेट बैंकिंग, ई- टिकट, बिलो का भुगतान आदि कई काम, तकनीक का ही परिणाम है, जब भी आवश्यक हुआ कार्य आसानी से, कहीं से भी, सम्पन्न कर लिया जाता है।
अमेरिका मे इस समय कई कम्पनियों ने जन्म ले लिया है, जिन पर काम कर, धनोपार्जन किया जा रहा है।
कई विज्ञापन कम्पनियां भी इसमे शामिल हैं। य़दि फेसबुक, ट्वीटर इन्सटाग्राम आदि पर विचरण से पता चलता है, कि वहां पर अॉनलाइन काम करना, एक अॉदोलन बन चुका है।
इसी तरह पिछले वर्ष जन्मी एक कम्पनी DS DOMINATION ने अॉनलाइन की संस्कृति को बढ़ा कर, अपनी ट्रेनिंग और वेबिनार के माॉध्यम से हजारो लोगों को जोड़ लिया है। इतना ही नही, उन्होंने इबे(eBay) और अमेजन(Amazon) के साथ लगभग 800 मिलियन डालर का व्यापार किया है।
यह संस्कृति भविष्य में कितनी सफल होगी. यह तो मैं नही जानता। किन्तु आज एक आवश्कता बनती हुयी दृष्टि गोचर हो रही है। समय के साथ कदम ताल करने वाले हमेशा सफल होते हैं। बढते हुये कदम के लिये रास्ता यहॉ से जाता है।
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