शुक्रवार, 11 मार्च 2011

दम तोड़ रही है !



यमुना !
वृद्धाकार !
तटबंधों पर रेत के टीले !
और उन पर उगते
सफ़ेद कांस केश !
रुग्णित, विक्लांत !
                                   दिल्ली में,
जीवनदान या इच्छा मृत्यु की
भीख मांगती !
चौमासा में
यौवन, इठलाती बलखाती
और आवेशित रोष  भी दिखाती !
परन्तु
पतझड़ तक न जाने
क्यों बुढ़ापा घेर लेता
जल, जल नहीं, विषज़ हो जाता  है
दिल्ली के परनालो से भी
होता विष  अवसिंचन !
तब यह अचेत, अति रुग्ण,
बड़े अस्पतालों के अस्तित्व पर
प्रश्न चिन्ह छोडती
क्योंकि यह तो
बिना औषधि
दम तोड़ रही है !


















18 टिप्‍पणियां:

  1. जीवनदान या इच्छा मृत्यु की
    भीख मांगती !
    चौमासा में
    यौवन, इठलाती बलखाती
    और आवेशित रोष भी दिखाती !............
    वाह ! जीवन दायनी यमुना का दर्द समझ में आया आपकी रचना को पढकर !
    आभार.........

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  2. क्यों बुढ़ापा घेर लेता
    जल, जल नहीं, विषज़ हो जाता है
    दिल्ली के परनालो से भी
    होता विष अवसिंचन !
    अगर इसका इलाज कर दिया तो फिर जमुना सफाई के नाम पर ये देश के कर्णधार अरबों कहाँ से डकारेंगे ?

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  3. अज्ञेय की एक कविता है जो मुझे ठीक से याद नहीं है, शायद आपको याद हो. कुछ इस तरह है- " सांप तूने कहां सीखा है डसना, तू रहा नहीं है शहरो में........ " अभिप्राय यह कि मनुष्य ने नदियाँ ही क्यों हवा भी तो विषाक्त कर ली है, अँधा दुंद जंगल साफ़ कर दिए हैं, कृषि के लिए नहीं बल्कि उद्योग के नाम पर. यह कहना ज्यादा सही होगा कि अपनी शानो शौकत के लिए............ आपका चिंतन हमें यदि झकझोर सके तो कितना सही होगा....... सुन्दर पोस्ट के लिए आभार.

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  4. यमुना की सही पीड़ा...अंकित की आपने....

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  5. यमुना को नाली बना अपनी संस्कृति पर इतराये फिरते हैं भारतीय।

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  6. यमुना के दर्द को बयां करती सुन्दर रचना| धन्यवाद|

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  7. गंगा और यमुना कि पीड़ा कहीं और नदियों कि भी न बन जाते ।

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  8. बेचारी नदियाँ!उनके तो आँसू भी दूषित हो गए.
    घुघूती बासूती

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  9. होली पर शुभकामनायें स्वीकार करें !!

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  10. क्यों बुढ़ापा घेर लेता
    जल, जल नहीं, विषज़ हो जाता है
    दिल्ली के परनालो से भी
    होता विष अवसिंचन

    बहुत सुंदर सार्थक रचना के लिए बधाई..... रंग पर्व की मंगलकामनाएं

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  11. होली पर मैं आपको तथा परिवार के लिए मंगल कामनाएं करता हूँ !

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  13. आपने इस रचना में यमुना के दर्द को जिया है ... अच्छी प्रस्तुति

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  14. दर्द को बयां करती सुन्दर रचना.......
    आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  15. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  16. यमुना की व्यथा का सार्थक चित्रण कर दिया।

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  17. यमुना की दुर्दशा को आपके शब्द और चित्र भी बखूबी बयां कर रहे हैं । सचमुच एक तरफ तो हम नदियों को देवी मान कर पूजते हैं और दूसरी तरफ उसमें मैला ,कचरा और तमाम अवशिष्ट पदार्थ भी बेझिझक डालते रहते हैं । कैसी पूजा है हमारी ।

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कृपया मार्गदर्शन कीजियेगा