आज ३१ जुलाई है और इसे चिट्ठी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है . इस बात कि खबर आज के अखबार में छपी हुई थी . अर्थात आज के दिन भूले बिसरे चिट्ठी को दुबारा लिखने का एक प्रयास . क्या वास्तव में लोग एसा करेंगे . यदि एसा हुआ तो डाक विभाग कि चांदी हो जायगी. क्योंकि जब से इ मेल का जमाना आया तो लोगो नें अपनों को हस लिखित ख़त लिखना बंद कर दिए हैं. . मैंने स्वयं १९९३ के बाद शयद ही कोई पत्र लिखा हो , याद नहीं आता . अब इसी तरह अन्य लोगों ने भी लिखना छोड़ दिया हो तो हजारों लाखो लोगों ने लिखना छोड़ा होगा . जबकि मेरा जैस आदमी आज भी अपनों के लिए ईमेल जैसा साधन का इस्तेमाल नहीं कर पाता.
हाँ अखबार में एक बात जो रोचक लिखी थी वह पहली चिट्ठी का इतिहास . अखबार के अनुसार चिट्ठी पहली बार इंग्लैंड में ३१ जुलाई कोई ही पोस्ट कि गयी थी किन्तु दुःख इस बात का है कि इंग्लैंड का इतिहास रखने वालों को अपने देश का इतिहास नहीं मालूम . कि पहली चिट्ठी इस देश कब पोस्ट हुई कहाँ पोस्ट हुई . इसका कुछ भी पता नहीं मालूम . इंलैंड में जन्मी चिट्ठी का जन्म दिवस मानाने के लिए हम पलक पांवड़े बिछा के बैठे हुए हैं .
इससे भी कोई अंतर नहीं आता है कम से कम चिट्ठी कि याद तो आई . शयद कई लोगों ने आज इस खबर पढने के बाद चिट्ठी लिखी भी हो . यह एक अच्छी खबर हो सकती है. कुल मिलाकर हमें चिठ्ठी लिखना जारी रखना चाहिए इसके पीछे बहुत से कारण हैं. जैसे हस्त लिखित से भावना के आदान प्रदान से गूढता बढती है संबधों में प्रगाढ़ता आती है , सुसुप्त पड़ा डाक विभाग के कर्चारियों के रोजगार बढ सकेगा . चिट्ठियों के प्रचालन बंद होने कारण डाक विभाग के पास काम की भारी कमी हो गयी है. और इसके चलते विभाग को अन्य कार्यों जैसे बैंकिंग , इंश्योरेंस में लगना पड़ा और अपने कर्मचारियों के लिए वेतन का जुगाड़ करना पड़ा .
आशा है सभी लोग इस दिशा में पुन: थोड़ी दिलचस्पी लेकर पुरानी यादों को साकार करने का कष्ट करेगे और फिर गाने लगें डाकिया डाक लाया , डाकिया डाक लाया !!!!!!.
चिट्ठियाँ सम्प्रेषण का माध्यम थीं. आज भी सम्प्रेषण हो रहा है , साधन बदल गए हैं. परिवर्तन होता रहता है.पहले चिट्ठी जरूरत थी आज शौक बन सकती है.चिट्ठी से सम्प्रेषण आज व्यवहारिक नहीं.
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