tag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post8442550394694671332..comments2023-08-19T15:57:52.405+05:30Comments on गाँव: हिमगिरी के सम्मुख यह निर्मम नाटक कैसा !गिरधारी खंकरियालhttp://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-80410861151188655232011-03-01T08:05:55.983+05:302011-03-01T08:05:55.983+05:30नमस्कार श्री गिरधारी खंकरियाल जी
आपका ब्लाग मध्य प...नमस्कार श्री गिरधारी खंकरियाल जी<br />आपका ब्लाग मध्य पंक्ति में जोङ दिया<br />है । धन्यवाद ।सहज समाधि आश्रमhttps://www.blogger.com/profile/12983359980587248264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-41260238873215970212011-02-24T20:50:55.720+05:302011-02-24T20:50:55.720+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति|बहुत सुन्दर प्रस्तुति|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-15070537472480121032011-02-17T18:32:57.934+05:302011-02-17T18:32:57.934+05:30शांत ! नीरव! पवन तपोभूमि थी यह ,
कुरुक्षेत्र सी रण...शांत ! नीरव! पवन तपोभूमि थी यह ,<br />कुरुक्षेत्र सी रणभूमि, यहाँ कोलाहल सा कैसा!<br />हिंसा के गौरव कुंडली कुरुक्षेत्र के कौरव,<br />नवजात अभिमन्यु के लिए, धर्मव्यूह रचाया है कैसा!<br /><br />इतिहास और वर्तमान को परिभाषित करती रचना अपने मूल मंतव्य को स्पष्ट रूप से वयां करती है ...केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-45051192250831082792011-02-17T10:20:45.991+05:302011-02-17T10:20:45.991+05:30पापंकी बना दिया इस देश को कैसा !
अराजकता का आधुनि...पापंकी बना दिया इस देश को कैसा !<br />अराजकता का आधुनिक दुर्योधन कैसा !<br />माँ भारती ! अश्रुपूरित नयनो का यह माणिक हार कैसा !<br />रुदित कंठ से भीरु बने, धर्म पुजारी !<br />यह खंडित खेल, मौन निहारते मधु विहारी !<br />क्यों ?<br />अरे ! आदि पुरुष हिमगिरी के सम्मुख यह निर्मम नाटक कैसा ! <br /><br /><br />बहुत सुन्दर, तब और आज की समानता यह है कि तब एक सरदार राष्ट्रपति था आज एक सरदार प्रधानमंत्री है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-31752615995840554112011-02-17T08:52:04.857+05:302011-02-17T08:52:04.857+05:30माँ भारती ! अश्रुपूरित नयनो का यह माणिक हार कैसा !...माँ भारती ! अश्रुपूरित नयनो का यह माणिक हार कैसा !<br />रुदित कंठ से भीरु बने, धर्म पुजारी !<br />यह खंडित खेल, मौन निहारते मधु विहारी !<br />क्यों ?<br />अरे ! आदि पुरुष हिमगिरी के सम्मुख यह निर्मम नाटक कैसा ! <br /> aaj ke haalaton ko dekh Maa bharti ka yah santap kuch kam to nahi.. han jo kuch abhi bhi shesh kuch punyatmayen dhara par hai unhin se chal rahi hai yah dharati...<br />..bahut saarthak sandeshbhari prastuti ke liye aabharकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-49248654327367935692011-02-16T11:18:32.695+05:302011-02-16T11:18:32.695+05:30क्या खूब लिखा है कुछ नहीं बदला नहीं बदलेगाक्या खूब लिखा है कुछ नहीं बदला नहीं बदलेगाPushpendrahttps://www.blogger.com/profile/08493637960544283809noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-29422139405914514712011-02-16T09:26:14.242+05:302011-02-16T09:26:14.242+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
निसंदेह १९८४ और आज की स्थि...बहुत सुन्दर प्रस्तुति !<br />निसंदेह १९८४ और आज की स्थिति में समानता है,कुछ नहीं बदला है,पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-71971914102932621132011-02-16T09:03:38.192+05:302011-02-16T09:03:38.192+05:30निस्संदेह झकझोरने वाली रचनानिस्संदेह झकझोरने वाली रचनाRajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-64280648718586122592011-02-15T23:44:57.308+05:302011-02-15T23:44:57.308+05:30वीभत्स यथार्थ पर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति।वीभत्स यथार्थ पर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/16920068808560615666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-83950776166746495782011-02-15T21:01:47.852+05:302011-02-15T21:01:47.852+05:30कुछ नहीं बदला है, न कुछ बदलेगा। यह कविता धार नहीं ...कुछ नहीं बदला है, न कुछ बदलेगा। यह कविता धार नहीं खोने वाली।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-19912122254228887822011-02-15T17:36:58.890+05:302011-02-15T17:36:58.890+05:30हिंसा के गौरव कुंडली कुरुक्षेत्र के कौरव,
नवजात अभ...हिंसा के गौरव कुंडली कुरुक्षेत्र के कौरव,<br />नवजात अभिमन्यु के लिए, धर्मव्यूह रचाया है कैसा!<br />सभी बन कर योद्धा, एक दूसरे की परछाई,<br />द्वेष, द्वंद्व, अनीति, घृणा पर सहज उतर आयी!...<br /><br />बहुत सुन्दर प्रस्तुति !<br />निसंदेह १९८४ और आज की स्थिति में समानता है । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.com