tag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post5520918373776312013..comments2023-08-19T15:57:52.405+05:30Comments on गाँव: कीट्स आफ गढ़वाल- चन्द्रकुंवर वर्त्वालगिरधारी खंकरियालhttp://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-84815415720644975722017-02-11T11:20:57.407+05:302017-02-11T11:20:57.407+05:30Beautiful & Nice Dresses, Salwar-Kameez &...Beautiful & Nice Dresses, Salwar-Kameez & many more………<br /><a href="http://www.salwar.uk/salwar-suit" rel="nofollow"> Salwar-Suit </a><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02111016706637154703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-64441691765462705712016-03-08T18:40:47.234+05:302016-03-08T18:40:47.234+05:30कुंवर जी के बारे में जानकारी देने के लिए आभार।कुंवर जी के बारे में जानकारी देने के लिए आभार।रमता जोगीhttps://www.blogger.com/profile/16106000791426439119noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-5126009556614455302014-04-20T20:20:52.464+05:302014-04-20T20:20:52.464+05:30चन्द्रकुवंर बर्त्वाल पर आपका यह आलेख अच्छा लगा। मा...चन्द्रकुवंर बर्त्वाल पर आपका यह आलेख अच्छा लगा। मात्र अठ्ठाईस वर्ष की आयु में सात सौ से अधिक कवितायें देकर वे इस असार संसार से विदा हो गये।<br />ब्लॉग के माध्यम से आपने हिमालय के इस काफलपाकू कवि के यश को और भी बढ़ा दिया है। आभार!!<br />कुछ वर्ष पहले देहरादून में उनके जन्मदिवस के अवसर पर उनके भाई भूपाल सिंह बर्त्वाल जी का कहना था कि उनका नाम वास्तव में कुवंर सिंह बर्त्वाल था। फिर वे अपना नाम कुंवर सिंह बर्त्वाल‘चन्द्र’ लिखने लगे। बाद में वे कुंवर सिंह बर्त्वाल‘चन्द्र’ से चन्द्रकुंवर बर्त्वाल हो गये। <br />शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-89372683058906790302013-04-01T17:18:39.877+05:302013-04-01T17:18:39.877+05:30 काश यह साहित्य सृष्टा दीर्घावधि तक जीवित रहते तो... काश यह साहित्य सृष्टा दीर्घावधि तक जीवित रहते तो हिन्दी साहित्य को अभूतपूर्व ज्ञान प्रदत करते, एक नयी दिशा देते।<br />....सच यह काश शब्द बहुत चुभता है ...<br /> जाने कितने की ऐसे अनमोल मोती संसार से निस्वार्थ भर से अपना कर्म करते हुए चुपचाप संसार से विदा हो जाते हैं ... ..जिनके जाने के बाद उनकी महत्ता समझ आती हैं ...<br /><br />चन्द्रकुंवर वर्त्वाल से उनकी रचनाधर्मिता से परिचय काराती सुन्दर प्रस्तुति हेतु आभार ...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com