tag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post2158110845437930754..comments2023-08-19T15:57:52.405+05:30Comments on गाँव: एक और घर पर ताला लगा ही दिया है!गिरधारी खंकरियालhttp://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-5629250982170317992011-06-23T17:56:14.354+05:302011-06-23T17:56:14.354+05:30यह उत्तराखंड की चिर-समस्या है | उत्तराखंड खेती पर ...यह उत्तराखंड की चिर-समस्या है | उत्तराखंड खेती पर निर्भर नहीं हो सकता | पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटन आधारित नीतियाँ बनाना ही पलायन का एकमात्र हल है | उत्तराखंड में पर्यटन की असीम संभावना है |पर्यटन ही वहाँ रोजगार पैदा कर सकता है |hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-52150138924200602592011-06-22T08:50:43.527+05:302011-06-22T08:50:43.527+05:30आपने बिल्कुल सही कहा है ! सच्चाई को बड़े ही सुन्दर...आपने बिल्कुल सही कहा है ! सच्चाई को बड़े ही सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है! उम्दा प्रस्तुती!<br />मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-<br />http://seawave-babli.blogspot.com/Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-22724034654203313562011-06-20T14:05:30.469+05:302011-06-20T14:05:30.469+05:30Abhi main bhi gaon se lauti hun... sach mein pala...Abhi main bhi gaon se lauti hun... sach mein palayan se samsya bahut bade paimane par hai.. .. kayee khet banjar aur makanon ko ujaad dekhkar man ko bahut dukh pahunchta hai.. .. gaon prakratik drshti se jahan ham kabhi-kabhi gaon jaane walon ko apni or aakarshit karta hai wahin wahan jaakar kuch pariwaron ke dasha dekhkar sach mein man darvit ho uthta hai... sach to yahi hai ki gaon shahari hawa ke aagosh mein dube nazar aane lage hai.... Ab gaon mein PAHLE JAISE log bahut kam dikhte hai....<br />Saarthak prastuti ke liye aabhar!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-9623719397044334842011-06-17T09:44:34.341+05:302011-06-17T09:44:34.341+05:30पहाड़ों से पलायन जारी है, उम्मीद थी की राज्य के निर...पहाड़ों से पलायन जारी है, उम्मीद थी की राज्य के निर्माण के बाद इसमें कमी आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जहाँ तक मैं समझता हूँ पलायन नियति बन चुकी है पहाड़ वासियों की, हालंकि कुछ लोग पलायन वालों को ही भला-बुरा कहने से नहीं चुकते हैं, अक्सर उनका तर्क होता है की यहाँ भी बहुत कुछ है, जी हाँ ! क्या नहीं है यहाँ ? (गंगा - यमुना का उदाहरण आपने दिया है, ) सच तो यह है की दो-चार दिन की मौज-मस्ती के लिहाज से किसी पर्यटक के लिए यहाँ पर बहुत कुछ है अन्यथा सिर्फ हवा-पानी के अतिरिक्त जीने के लिए यहाँ पर है ही क्या? <br />इस विषय पर मैंने भी लिखने का प्रयास कई बार किया किन्तु ............सच लिखने की हिम्मत नहीं हुई.....<br />उपरोक्त विचारणीय पोस्ट हेतु आपका आभार व्यक्त करता हूँ ,......................पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-53741552281766641402011-06-16T00:51:23.741+05:302011-06-16T00:51:23.741+05:30यह तो शायद सतत प्रक्रिया है...यह तो शायद सतत प्रक्रिया है...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-75783063431153274962011-06-15T23:08:39.489+05:302011-06-15T23:08:39.489+05:30पलायन शाश्वत, सर्वत्र और सतत प्रक्रिया है. हर व्यक...पलायन शाश्वत, सर्वत्र और सतत प्रक्रिया है. हर व्यक्ति अपने भले के लिए भाग रहा है. क्या पहले पहाड़ों में पलायन नहीं था ? था, मेरे ही गाँव में कई लोग दूसरे गाँव से आ कर बसे हुए हैं और हमारे गाँव के भी कुछ लोग रवाई या जौनपुर(टिहरी) में बसे हुए हैं. और दो तीन पीढ़ी हो गयी है. बेशक पलायन करने वालों का प्रतिशत बढ़ गया है. कारण है- संयुक्त परिवारों का टूटना, शिक्षा, पर्यावरण में हुए बदलाव, सुविधाभोगी होना, अधिकाधिक अर्जन की दौड़, और, और अन्य अनेक कारण.शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-40712085096806557652011-06-15T21:33:03.799+05:302011-06-15T21:33:03.799+05:30न जाने आगे बढ़ रहे हैं या पीछे जा रहे हैं..... विक...न जाने आगे बढ़ रहे हैं या पीछे जा रहे हैं..... विकास के नाम पर सच में जीवन के अर्थ ही बदल रहे हैं.... समसामयिक विवेचन लिए पोस्ट....आभार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-32889256352978414412011-06-15T20:23:56.508+05:302011-06-15T20:23:56.508+05:30पलाइन करने में दुःख तो होता ही है पर मज़बूरी सब क...पलाइन करने में दुःख तो होता ही है पर मज़बूरी सब कुछ करा देती है|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-63244144952846539792011-06-15T19:39:16.674+05:302011-06-15T19:39:16.674+05:30विकास हर जगह घुस घुस कर जीवन को खदेड़ रहा है।विकास हर जगह घुस घुस कर जीवन को खदेड़ रहा है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-640731898580733039.post-48293397758739115892011-06-15T16:36:40.064+05:302011-06-15T16:36:40.064+05:30गिरधारी जी ,
जब समस्याएं बढती हैं तो मजबूरी में इं...गिरधारी जी ,<br />जब समस्याएं बढती हैं तो मजबूरी में इंसान न चाहते हुए भी ऐसे निर्णय ले लेता है। दुःख तो होता है इस पलायन से।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.com